शैव ब्रह्मण तथा वैष्णव वैष्णव ब्रह्मण – इस तरह वेद और पुराणों से उत्पन्न 5 तरह के संप्रदायों माने जा सकते हैं:- 1. वैष्णव, 2. शैव, 3. शाक्त, 4 स्मार्त और 5. वैदिक संप्रदाय। वैष्णव जो विष्णु को ही परमेश्वर मानते हैं, शैव जो शिव को परमेश्वर ही मानते हैं, शाक्त जो देवी को ही परमशक्ति मानते हैं और स्मार्त जो परमेश्वर के विभिन्न रूपों को एक ही समान मानते हैं। अंत में वे लोग जो ब्रह्म को निराकार रूप जानकर उसे ही सर्वोपरि मानते हैं। हालांकि आजकल सब कुछ होचपोच है
शैव ब्रह्मण तथा वैष्णव वैष्णव ब्रह्मण
शैव ब्रह्मण
जो भगवान शिव के अवतारों की पूजा करते है तथा उनको परिचलित करते है उनको शैव ब्रह्मण माना गया है जैसे भारती,गिरि, पुरी,जोगी,सरस्वती,वन,योगी तीर्थ,सागर,अरण्य,पर्वत, आश्रम इत्यादि ये ज्यादातर चिमटा कमंडल तिरशूल जट्टा तथा भगवाधारी पाए जाते है जोगी तथा गोस्वामी श्रेष्ठ ब्रह्मण माने जाते है जंगम तथा नाथ इसमें शामिल नहीं है
शिव के अवतार : शिव पुराण में शिव के भी दशावतारों के अलावा अन्य का वर्णन मिलता है, जो निम्नलिखित है- 1. महाकाल, 2. तारा, 3. भुवनेश, 4. षोडश, 5.भैरव, 6.छिन्नमस्तक गिरिजा, 7.धूम्रवान, 8.बगलामुखी, 9.मातंग और 10. कमल नामक अवतार हैं। ये दसों अवतार तंत्रशास्त्र से संबंधित हैं।
वैष्णव ब्रह्मण
जो भगवान विष्णु के अवतारों की पूजा करते है तथा उनको परिचलित करते है उनको वैष्णव ब्रह्मण माना गया है जैसे स्वामी गौर दुब्बे मिश्र तिवारी शास्त्री गौर कान्यकुब्ज इत्यादि ये ज्यादातर चोट्टाधारी पाए जाते है
*विष्णु के अवतार : शास्त्रों में विष्णु के 24 अवतार बताए हैं, लेकिन जो प्रमुख अवतार माने जाते हैं- मत्स्य, कच्छप, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, और कल्कि। शिव ब्रह्मण
जल्द ही हम आपको शाक्त, स्मार्त पंथ के बारे में बतायगे